खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटा, अब मेजर ध्यानचंद के नाम से दिया जाएगा

By: Pinki Fri, 06 Aug 2021 1:57:10

खेल रत्न पुरस्कार से राजीव गांधी का नाम हटा, अब मेजर ध्यानचंद के नाम से दिया जाएगा

मोदी सरकार ने शुक्रवार को राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड कर दिया गया है। मोदी ने इस फैसला का ऐलान करते हुए कहा कि ये अवॉर्ड हमारे देश की जनता की भावनाओं का सम्मान करेगा। पीएम मोदी ने कहा कि देशवासियों के आग्रह के बाद उन्होंने यह निर्णय लिया है। पीएम ने ट्विटर के जरिए यह ऐलान किया। यह अवॉर्ड देश का सबसे बड़ा खेल सम्मान है। पहली बार यह पुरस्कार 1991-92 में दिया गया था।

मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है।

पीएम ने ट्विटर पर लिखा, 'ओलंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ियों के शानदार प्रयासों से हम सभी अभिभूत हैं। विशेषकर हॉकी में हमारे बेटे-बेटियों ने जो इच्छाशक्ति दिखाई है, जीत के प्रति जो ललक दिखाई है, वो वर्तमान और आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।'

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है। जय हिंद!'

राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार भारतीय खेलों का सर्वोच्च पुरस्कार है। सरकार ने 1991-92 में इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। इसे जीतने वाले खिलाड़ी को प्रशस्ति पत्र, अवॉर्ड और 25 लाख रुपए की राशि दी जाती है। सबसे पहला खेल रत्न पुरस्कार पहले भारतीय ग्रैंड मास्टर विश्वनाथन आनंद को दिया गया था। अब तक 45 लोगों को ये अवॉर्ड दिया जा चुका है। हाल में क्रिकेटर रोहित शर्मा, पैरालंपियन हाई जम्पर मरियप्पन थंगवेलु, टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा, रेसलर विनेश फोगाट को ये अवॉर्ड दिया गया है।

3 हॉकी प्लेयर्स को मिला खेल रत्न अवॉर्ड

हॉकी में अब तक 3 खिलाड़ियों को खेल रत्न अवॉर्ड मिला है। इसमें धनराज पिल्ले (1999/2000), सरदार सिंह (2017) और रानी रामपाल (2020) शामिल है।

ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है।

ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा।

उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था।

1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, 'यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।' तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।

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